सुनता ही नहीं है वो
सुनता ही नहीं है वो
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किसी की सुनता ही नहीं है वो,
अपने मन की करता है वो,
देर रात तक जागता है वो,
सुबह जल्दी नहीं उठता है वो,
बेवजह गुस्सा करता है वो,
दिल की नहीं सुनता है वो,
बस दिमाग से काम लेता है वो,
दूर की नहीं सोचता है वो,
बस मौज मस्ती में उलझता है वो,
कैसे जीवन सफल करेगा वो,
कैसे देश का भला करेगा वो,
वो का मतलब आज का बच्चा,
कैसे बनेगा देश का सच्चा।
राह दिखलाए कोई उसको ,
ईश्वर देगा आशीष उसको।
गुरुकुल फिर से लाना होगा,
धर्म-संस्कृति सिखलाना होगा।
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मौलिक एवं स्वरचित
© निरुपमा कर्ण
पटना (बिहार)
तिथि – 22/08/2021
मोबाइल न. – 8271144282