*सुनकर खबर आँखों से आँसू बह रहे*
सुनकर खबर आँखों से आँसू बह रहे
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सुन कर खबर आँखों से आँसू बह रहे,
टूटा सबर आँखों से आँसू बह रहे।
आहें निकलती रहती दिल से हर पहर,
छाया सहर आँखों से आँसू बह रहे।
वो तोड़ कर वादे सारे यूँ चल दिये,
उन के मगर आँखों से आँसू बह रहे।
आफत मची कैसी है मन में रात-दिन,
बिछड़ी डगर आँखों से आँसू बह रहे।
जाने लगी जां तन से नाहक सी कहीं,
उठती लहर आँखों से आँसू बह रहे।
टूटी लड़ी नजरों की जब से एकता,
निगला जहर आँखों से आँसू बह रहे।
मन चाहता मनसीरत मरते दम तलक,
छूटा शहर आँखों से आँसू बह रहे।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)