सुख शांति फरियाद
सुख समृद्धि शांति फरियाद
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भूल कर सारे वाद-विवाद,
मन में मुटाव और अपवाद।
मिलजुल कर आगे बढते हैं,
आपस में कर मधुर संवाद।
बीत गई सो बात गई अब,
मत कर बुरे वक्त को याद।
उलाहनों की बरसात हुई,
एक दूसरे को किया बर्बाद।
गुढ़ी गाँठे पड़ जाती है,
न हो पाता कोई आबाद।
बातें होती जब किश्तों में,
जैसे मिलता रहता प्रसाद।
शिकवे शिकायत शेष रहते,
प्यार मात्र होता अपवाद।
गमगीन गिलों में कट जाती,
बढ़ जाता ज्वर अवसाद।
मनसीरत मन मंदिर सा है,
सुख समृद्धि शांति फरियाद।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
सुखविंद्र सिंह मनसीरत