‘सुख-दुख के साथी’
कौन यहाँ सुख-दुख का साथी,
यहाँआये सभी बनकर बाराती।
मीनमेख बताकर कुछ पल साथ निभा लेते,
बन-ठनकर नाच-नाचकर बाहरी शान दिखा देते।
तुम ही साथी सुख-दुख के अपने,
करने हैं तुमको अपने पूरे सपने।
मन के हारे हार है मन के जीते जीत,
मन मैला मत करना रखना सब से प्रीत।
-Gn