सुख की चाहत में बेचैन इंसान
सुख की तलाश में फिरता है इंसान मारा मारा
इंसान तो सच बड़ा ही ज्यादा लगता है लाचारा
दुःख के एक पल को सर पर उठा दे दे देता है दुहाई,
सुख की बात नहीं कभी उसने किसी को बताई !!
चाहता है पल पल मेरा सकून से गुजरे
मेरी रात सुख से दुसरे की दुःख से गुजरे
वो तनहाई में भी परेशां रहे न चैन मिले उसको
बस खुदा दीन जहान का सारा सुख चैन मिले मुझको !!
कशमकश में उलझा न जाने , ताने बाने बुनता है
अपने लिए दुःख दर्द दूर रहे बस यही वो चुनता है
गहराईओं में जाकर सो जाता है रात भर चैन से
जिस को दर्द दे आया वो रहा रात भर बेचैन से !!
यह तो अच्छा ही है की खुदा ने बना दिया सुख-दुःख को
आज तो सोता है सुख की नीद , कल तो भोगेगा दुःख को
‘अजीत” चाहता हूँ.दुःख देने वाले को खुदा इतना दुःख देना
कि आने वाले उस के पूरे परिवार को जन्म जन्म तक दुःख देना !!
सच लिखने में क्या जाता है, झूठ तो नहीं लिखा जाता है
बेकार प्यार की बातों से मन अपना और आपका बहलाया जाता है
ख़ामोशी का टूटना भी बहुत जरूरी है ,इन को भी पता लगना जरूरी है
अपने आराम के लिए न किसी को सताओ, यह कहना भी जरूरी है !!
अजीत तलवार
मेरठ