सुख की कामना
हर आदमी लगा है, सुख की तलाश में
जिंदगी लगा दी, सुखों की आस में
मृगमारीचका की अंतहीन प्यास में
धन शक्ति और पद की, पागल है चाह में
भौतिक साधनों के, असीमित लगाव में
उम्र गुजर गई, कुछ न कुछ अभाव में
इच्छाओं के अनंत आकाश में
सुख न मिल सका, आखरी भी पड़ाव में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी