सुख और दुःख
सुख गहरी नींद, विलास, विश्राम है ।
दुःख वैचारिक जाग्रति अवधान है।
सुख हर्ष सागर में डुबकी है ।
दुःख तैरना सीखने का संधान है।
सुख स्वप्नों आशाओं का नीड़ है ।
दुःख नीड़ के उपक्रम का विधान है।
सुख सुकोमल मृदु भावों से भरा है ।
दुःख साहस व दृढ़ता की खान है।
सुख दे रहा जीवन को नव आयाम है |
दुःख की नियति नव सीख ही परिणाम है।
सुख जोड़ता तुमको जगत की चेतना से
दुःख खुद के भीतर रमता गहरा ध्यान है।
न रहा सुख ही सदा न दुःख टिका है ।
जगत का ये नियम सर्व प्रधान है ।
स्वीकार लो श्रद्धा से जो भी प्राप्त है।
आदर करो जीवन का ये वरदान है ।