****सुखी हुई पत्तियन और तेरी याद**
ऐसे फूलों से प्यार नहीं करता कोई
जिस की महक गुजर जाती है
मैं उन फूलों को समेट के रख लेता हूँ
जिस में से याद तेरी बहुत आत्ती है !!
पत्तियन ही तो सुखी है यादें नहीं सुखी
मुरझा ही तो गयी है पर असल नहीं छूटी
मैंने उनको दामन में समाया है पल पल
जिस में से महक बस तेरी आती है !!
समेट के रखा ऐसे की जैसे तू दिखती है
उन में से हंसती सी झलक मुझे दिखती है
उस ने भी मुझे पल पल यूं हंसाया है
मुझे खिलखिलाती से तू नजर आती है !!
कवि अजीत कुमार तलवार
मेरठ