सुखधाम
हे! राम राम, हे! राम राम,
हे! राम राम, हे! राम राम।
धरती हो जाती जब कातर,
मानवता पर छाते विकार।
दुख के बादल घिर आते जब,
तब ही होता यह चमत्कार।
लेता वह जन्म ताप हरने,
करता सारे निष्काम काम।
हे! राम राम, हे! राम राम,
हे! राम राम, हे! राम राम।
तुमने रखे आदर्श नेक,
थी मात-पिता की रखी टेक।
वन वन भटके बन मनुज रूप, अखिलेश्वर हो तुम विश्वरूप।
तव दर्शन दुर्लभ अहह राम,
पूजित, सेवित बस एक नाम।
हे! राम राम, हे! राम राम,
हे! राम राम हे! राम राम।
हे तुलसीदास के रामचंद्र,
कौशल्या मां के प्रेम निधि।
तुम तो हे प्रभु जगदीश्वर हो,
मैं करूं वंदना कौन विधि?
इस भव से पार कराओ तुम,
इन चरणों में मेरा प्रणाम।
हे! राम राम, हे! राम राम,
हे! राम राम हे! राम राम।
इस दुनिया के छल छंदों से,
छलनी मन रोता जार जार।
मधु पीने की अभिलाषा में, विषपान किया है बार-बार।
मैं शरण आपकी आज पड़ा, मुझको अपना लो सुख धाम।
हे! राम राम, हे! राम राम,
हे! राम राम हे! राम राम।