Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Aug 2024 · 1 min read

सुखद गृहस्थी के लिए

सुखद गृहस्थी के लिए
मंथरा का परित्याग ज़रूरी है
_ सौम्या

57 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Sonam Puneet Dubey
View all
You may also like:
क्या होगा लिखने
क्या होगा लिखने
Suryakant Dwivedi
😊
😊
*प्रणय*
तेरे जाने के बाद बस यादें -संदीप ठाकुर
तेरे जाने के बाद बस यादें -संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
मान जाने से है वो डरती
मान जाने से है वो डरती
Buddha Prakash
इंडिया दिल में बैठ चुका है दूर नहीं कर पाओगे।
इंडिया दिल में बैठ चुका है दूर नहीं कर पाओगे।
सत्य कुमार प्रेमी
यकीन
यकीन
Dr. Kishan tandon kranti
रोशनी की शिकस्त में आकर अंधेरा खुद को खो देता है
रोशनी की शिकस्त में आकर अंधेरा खुद को खो देता है
कवि दीपक बवेजा
!! शेर !!
!! शेर !!
डी. के. निवातिया
पलकों से रुसवा हुए,
पलकों से रुसवा हुए,
sushil sarna
ज्ञानवान  दुर्जन  लगे, करो  न सङ्ग निवास।
ज्ञानवान दुर्जन लगे, करो न सङ्ग निवास।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
मैं नारी हूं, स्पर्श जानती हूं मैं
मैं नारी हूं, स्पर्श जानती हूं मैं
Pramila sultan
अपनी आंखों को मींच लेते हैं।
अपनी आंखों को मींच लेते हैं।
Dr fauzia Naseem shad
कौन्तय
कौन्तय
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
*आत्मविश्वास*
*आत्मविश्वास*
Ritu Asooja
तेरी जुल्फों के साये में भी अब राहत नहीं मिलती।
तेरी जुल्फों के साये में भी अब राहत नहीं मिलती।
Phool gufran
क्या पता...... ?
क्या पता...... ?
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
"" *प्रताप* ""
सुनीलानंद महंत
आज के रिश्ते में पहले वाली बात नहीं रही!
आज के रिश्ते में पहले वाली बात नहीं रही!
Ajit Kumar "Karn"
उम्रें गुज़र गयी है।
उम्रें गुज़र गयी है।
Taj Mohammad
जागरूकता के साथ शुद्धि के तरफ कैसे बढ़े। ~ रविकेश झा ।
जागरूकता के साथ शुद्धि के तरफ कैसे बढ़े। ~ रविकेश झा ।
Ravikesh Jha
शहर तुम्हारा है तुम खुश क्यूँ नहीं हो
शहर तुम्हारा है तुम खुश क्यूँ नहीं हो
©️ दामिनी नारायण सिंह
ओ! मेरी प्रेयसी
ओ! मेरी प्रेयसी
SATPAL CHAUHAN
Be with someone you can call
Be with someone you can call "home".
पूर्वार्थ
**बकरा बन पल मे मै हलाल हो गया**
**बकरा बन पल मे मै हलाल हो गया**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
प्रदूषन
प्रदूषन
Bodhisatva kastooriya
सेवा या भ्रष्टाचार
सेवा या भ्रष्टाचार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
वसंत
वसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सृष्टि का कण - कण शिवमय है।
सृष्टि का कण - कण शिवमय है।
Rj Anand Prajapati
यहां से वहां फिज़ाओं मे वही अक्स फैले हुए है,
यहां से वहां फिज़ाओं मे वही अक्स फैले हुए है,
manjula chauhan
मेरी प्यारी सासू मां, मैं बहुत खुशनसीब हूं, जो मैंने मां के
मेरी प्यारी सासू मां, मैं बहुत खुशनसीब हूं, जो मैंने मां के
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...