सुकून के धागे …
सुकून के धागे…
दीवार में लगे शीशे में खुद को घंटों निहारा करती हूं।
अचानक से सिसक सिसक कर रो दिया करती हूं।
सुरख अंगार भरे जीवन में दिल का करार ढूंढा करती हूं।
मन के मनको को हाथ में लिए सुकून के धागे को तलाशा करती हूं।।
सीमा टेलर ‘तू है ना’ (छिम्पियान लम्बोर)