”सुकून की तलाश”
कविता-19
सुकून की तलाश में दर -दर भटकता रहा ,
किसी का साथ पाने को मैं तरसता रहा ,
तमन्ना रही सदा से कोई ऐसा मिले ,
जिसके साथ कुछ पल सुकून के गुजार लू ,
दिल के जज्बातों को बेखौफ कह सकूँ ,
अपनी हार पर उसके कंधे में सर रख रो सकूँ ,
आँखों की नमी को सुखाने की जल्दी ना करुँ ,
तमन्ना रही सदा से कोई ऐसा मिले जिसके
साथ दिल का हर दर्द बाँट सकूँ