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2 Jan 2024 · 1 min read

सुंदर शरीर का, देखो ये क्या हाल है

दोस्तों,
इस नव वर्ष की पहली ग़ज़ल आपकी मुहब्बत के हवाले,,,!!!

ग़ज़ल
====

सुंदर शरीर का, देखो ये क्या हाल है,
हां भाई हां यही तो हमारा कंकाल है।
=======================

दौलत,शोहरत के संसार में भूल गये,
सुंदर काया, मिट्टी की केवल खाल है।
=======================

जल कर कुछ चिताएं राख़ हो गई है,
बची ख़ाल में, फिर भी क्यूँ उबाल है।
======================

भ्रम है ऊँचे महल सब धरे रह जाऐगें,
तेरा-मेरा सब मोह-माया का जाल है।
=======================

दीवार खड़ी अमीर गरीब की इसां में,
कौन गिराऐ सब मौन यही सवाल है।
=======================

मन ही मन रोते, रखते झुठी मुस्कान,
खिले चेहरे “‘जैदि” भीतर से बेहाल है।
=======================

शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”

Language: Hindi
187 Views
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