सीमा प्रहरी
सरहद जिसका घर बना, जंग बना त्योहार।
माथे मिट्टी का तिलक,करे शत्रु संहार।।
सरहद पर तैनात है,खोए अपना चैन ।
नींद त्याग कर जागते, सैनिक सारी रैन।।
रहते सरहद पर अडिग, बना देश की ढ़ाल।
देश भक्त सच्चा वही, भारत माँ का लाल।।
सीमा का प्रहरी रहा,बना देश की शान।
जिसका फौलादी जिगर,सीना है चट्टान।।
सीमा पर डट कर खड़े, रहते वीर जवान।
मातृभूमि के वास्ते, हो जाते कुर्बान।।
सरहद पर लड़ते हुए, हो जाते कुर्बान।
युगों-युगों तक हैं अमर, ऐसे वीर-जवान।
सरहद के हर वीर को,माँ देती आशीष।
देश-भक्ति के वास्ते,सदा कटाना शीश।।
गोली खाकर जो खड़े, रहते सीना तान।
बहे देश हित के लिए,उनका लहू महान।।
कफन तिरंगा ओढ़ कर,जान वतन के नाम।
ऐसे वीर शहीद को, शत शत बार प्रणाम।।
-लक्ष्मी सिंह