Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Aug 2017 · 4 min read

सीमा का संघर्ष पार्ट – 1

हर रोज़ की तरह सीमा आज भी अपने घर से स्कूल के लिए निकली | घर से स्कूल चंद क़दमों की ही दूरी पर था . सीमा अपनी सहेलियों के साथ हँसते कूदते मस्ती में स्कूल जाती थी. समय के साथ साथ सीमा जवान और समझदार हो रही थी, अक्सर गली-मौहले के लोगों की नज़र सीमा पर टिकी रहती थी. लेकिन सीमा उन लोगों पर ध्यान दिए बिना स्कूल जाती. कल तक जो लोग उसे दूर से ही देखते थे, आज उनकी हिम्मत इतनी बढ़ गयी थी की उन्होंने सीमा को कमेंट पास करना और छेड़ना भी शुरू कर दिया, लेकिन सीमा को क्या पता की वह लोग उसके साथ ये क्या कर रहे है, सीमा को इस सब के बारे में कुछ पता नहींथा.
जैसे जैसे सीमा बढ़ी होने लगी थी, वैसे-वैसे ही उसकी सुन्दरता में चार चाँद लग गये थे. अधेड़ उम्र के लोग सीमा को हवस की नज़र से देखा करते थे | समय के साथ लडकों और दूसरें अधेड़ उम्र के लोगों की हरकते बढने लगी, अब सीमा जवान के साथ समझदार भी हो गयी थी, वह ये सब जानने लगी थी कि वह लोग जानबूझ कर उसे अपशब्द कहते हैं, और किसी न किसी बहाने उस छूने का प्रयास करते हैं|
सीमा उन सब लोगों की इन हरकतों से तंग आ गयी थी लेकिन वह कहती तो किस से कहती, उसे इस बात का डर था की कहीं उसके माता पिता यह बात सुनकर उसका घर से बाहर जाना बंद ना कर दे और ऐसा हो जाने पर सीमा की पढ़ाई अधूरी रह जाती और सीमा की घर वाले उसकी शादी करवा देते, और इससे सीमा और उसके घर वालों की बदनामी होती वो अलग. इन सब के डर से सीमा ने यह बातें किसी को भी नहींबताई. क्योंकी सीमा ने अपनी पढाई पूरी करके अपने और अपने घर वालों के सपने पूरे करने थे |
लेकिन जिस तरह के समाज में सीमा रह रही थी, वहाँ सीमा के लिए इस तरह के सपने पूरे करना भी एक सपना ही था. क्योंकी उस समाज में महिलाओं को बंद करके और पुरुषो को खुली आज़ादी प्राप्त थी. सीमा अपनी सहेलियों की तुलना में अपने आप को सौभाग्यशाली समझती थी. क्योंकी सीमा के सहेलियों को उसकी तरह आगे पढने का अवसर नहींमिला था |
सीमा ने उसके ऊपर हो रही छेड़छाड़ को कही भी बताना जरूरी ना समझ कर चुप्पी साध ली थी. सीमा की यह चुप्पी उन लोगों को और हिम्मत दे रही थी और वहीं दूसरी और सीमा के अंदर एक प्रकार का डर भी उत्पन्न कर रही थी.
इस तरह की हरकतों से सीमा ने धीरे-धीरे अपनी रेगुलर क्लास में जाना कम कर दिया और अपने घर में ही पढने लगी | घर वालों ने भी यह जानना जरूरी नहींसमझा की सीमा अपने कॉलेज क्यूँ नहीं जा रही है घर वालों के द्वारा एक दो बार पूछने पर सीमा का एक ही जवाब होता की कॉलेज में पढाई नहींहोती. सीमा का यह डर सीमा को अंदर ही अंदर मारे जा रहा था और इसका असर सीमा की पढाई में भी पड़ना स्वभाविक था |
सीमा को आते जाते न देख कर लडकों ने सीमा के घर के बाहर भी चक्कर लगाना शुरू कर दिया था, लेकिन सीमा इन सब पर ध्यान न देते हुए अपनी पढाई पर ही अपना ध्यान केन्द्रित रखना चाहती थी क्योंकि सीमा की परीक्षा शुरू हो गयी थी, लड़कों ने सीमा का पीछा करना भी शुरू कर दिया तथा रास्ते भर उसे छेड़ते हुए और कमेंट पास करते हुए जाते थे एक दिन कई लडकों ने सीमा को गाड़ी में जबरदस्त बैठा कर उसके साथ रपे करने की कोशिश की लेकिन जब वह लडके उसका रपे करने में नाकामयाब हुए तो उन सब ने सीमा को बीच राह में छोड़ दिया और वहाँ से चले गये.
इस घटना ने सीमा को अंदर से पूरी तरह झकझोर कर रख दिया तथा बदनामी के डर से उसने अभी भी यह बात किसी को नहींबताई और यह दर्द अपने अंदर ही दबाए रखा. क्योंकी सीमा को पता था की जिस तरह के समाज में वह रहती है, वहाँ हर बार कसूर एक लड़की का ही समझा जाता है, क्योंकी वह घर से बाहर छोटे कपड़े पहन कर जाती है, लडकों से कंधे से कन्धा मिलाकर चलती है, वह तो बदचलन है, ये सब कहकर लडकी को ही दोषी ठहराया जाता है.
सीमा चुप्पी धारण किये हुए अपनी परीक्षा देती रही और जब परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ तो सीमा उन परीक्षा में फेल हो गयी थी. और इस बदनामी से बचने के लिए सीमा ने आत्महत्या ही एकमात्र रास्ता चुना और अपने जीवन की अंतिम साँसे लेते हुए इस लेते हुए फांसी के फंदे को गले लगा लिया |

भूपेंद्र रावत
31/07/2017

Language: Hindi
1 Like · 377 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
2999.*पूर्णिका*
2999.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बिजलियों का दौर
बिजलियों का दौर
अरशद रसूल बदायूंनी
माता सति की विवशता
माता सति की विवशता
SHAILESH MOHAN
खींच रखी हैं इश्क़ की सारी हदें उसने,
खींच रखी हैं इश्क़ की सारी हदें उसने,
शेखर सिंह
लंगोटिया यारी
लंगोटिया यारी
Sandeep Pande
वक्त
वक्त
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कुछ बातें ज़रूरी हैं
कुछ बातें ज़रूरी हैं
Mamta Singh Devaa
सदा बढ़ता है,वह 'नायक' अमल बन ताज ठुकराता।
सदा बढ़ता है,वह 'नायक' अमल बन ताज ठुकराता।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
प्रेम की अनुपम धारा में कोई कृष्ण बना कोई राधा
प्रेम की अनुपम धारा में कोई कृष्ण बना कोई राधा
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
शुभ दीपावली
शुभ दीपावली
Harsh Malviya
मैं उन लोगो में से हूँ
मैं उन लोगो में से हूँ
Dr Manju Saini
माना मन डरपोक है,
माना मन डरपोक है,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
चंद्रयान-3
चंद्रयान-3
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
बच्चा बूढ़ा हो गया , यौवन पीछे छोड़ (कुंडलिया )
बच्चा बूढ़ा हो गया , यौवन पीछे छोड़ (कुंडलिया )
Ravi Prakash
💐प्रेम कौतुक-463💐
💐प्रेम कौतुक-463💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जिंदगी न जाने किस राह में खडी हो गयीं
जिंदगी न जाने किस राह में खडी हो गयीं
Sonu sugandh
दुविधा
दुविधा
Shyam Sundar Subramanian
पर्व है ऐश्वर्य के प्रिय गान का।
पर्व है ऐश्वर्य के प्रिय गान का।
surenderpal vaidya
"सोचता हूँ"
Dr. Kishan tandon kranti
सताया ना कर ये जिंदगी
सताया ना कर ये जिंदगी
Rituraj shivem verma
संवेदना प्रकृति का आधार
संवेदना प्रकृति का आधार
Ritu Asooja
“WE HAVE TO DO SOMETHING”
“WE HAVE TO DO SOMETHING”
DrLakshman Jha Parimal
"वक्त की औकात"
Ekta chitrangini
माँ कहने के बाद भला अब, किस समर्थ कुछ देने को,
माँ कहने के बाद भला अब, किस समर्थ कुछ देने को,
pravin sharma
संघर्ष जीवन हैं जवानी, मेहनत करके पाऊं l
संघर्ष जीवन हैं जवानी, मेहनत करके पाऊं l
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
■ चिंतन...
■ चिंतन...
*Author प्रणय प्रभात*
इंसान स्वार्थी इसलिए है क्योंकि वह बिना स्वार्थ के किसी भी क
इंसान स्वार्थी इसलिए है क्योंकि वह बिना स्वार्थ के किसी भी क
Rj Anand Prajapati
ईश्वर
ईश्वर
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
हर अदा उनकी सच्ची हुनर था बहुत।
हर अदा उनकी सच्ची हुनर था बहुत।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
Loading...