*सीधेपन से आजकल, दुनिया कहीं चलती नहीं (हिंदी गजल/गीतिका)*
सीधेपन से आजकल, दुनिया कहीं चलती नहीं (हिंदी गजल/गीतिका)
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( 1 )
मैं अगर असफल रहा तो, यह तनिक गलती नहीं
सीधेपन से आजकल, दुनिया कहीं चलती नहीं
( 2 )
पहले जमाने में सभी के, आठ बच्चे आम थे
तीन की भी अब गृहस्थी, ढंग से पलती नहीं
( 3 )
जिस देश में हों देश के हित, देश के जन के एकमत
उसको कमी हथियार की, कोई कभी खलती नहीं
( 4 )
मौत का दिन एक तय है, मौत उस दिन आएगी
आ गया जब वक्त तो फिर, टाले से टलती नहीं
( 5 )
लोभ को जीता है जिसने, तपश्चर्या साधकर
आनंद की अनुपम चमक, उसकी कभी ढलती नहीं
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451