सीता स्तुति
!! श्री राम !!
श्री सीता सप्तशती
? श्री सीता स्तुति ?
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जनक सुनयना की हे लाड़ो, शत-शत तुम्हें प्रणाम है ।
जहाँ विराजें चरण तुम्हारे ,वहीं राम का धाम है ।।
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हे वैदेही ! तुमने आकर भू का भार घटाया है ,
अपने भक्तों पर माँ तुमने, अनुपम प्यार लुटाया है ,
दशकन्धर को मुक्त कर गया मात तुम्हारा नाम है ।
जहाँ विराजें चरण तुम्हारे ,वहीं राम का धाम है ।।(१)
०
नाम तुम्हारा पवनपुत्र के , मन में मात समाया है ,
अजर अमर होने का तुमसे, हनुमत ने वर पाया है ,
मनमोहक छवि वर मुद्रा की, माता अति अभिराम है ।
जहाँ विराजें चरण तुम्हारे ,वहीं राम का धाम है ।।(२)
०
भरत ,शत्रुघन, लखनलाल नित, तुमको मात मनाते हैं,
देव ,यक्ष, गंधर्व आपको, हर पल शीश नवाते हैं,
लव कुश की हे मात ! तुम्हारी लीला ललित ललाम है ।
जहाँ विराजें चरण तुम्हारे ,वहीं राम का धाम है ।।(३)
०
करो सदा संघर्ष नारियों ,को तुमने संदेश दिया ,
पतिव्रत धारण किया आपने कभी नहीं संदेह किया ,
‘ज्योति’ हृदय में हरपल गूँजे, माता सीता राम है ।
जहाँ विराजें चरण तुम्हारे ,वहीं राम का धाम है ।।(४)
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-महेश जैन ‘ज्योति’
क्रमशः…..!
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