सीता – राम
सीता से राम
आपसे दूर
चाहत के पास
मेरे नसीब का कैसा हिसाब_ सीता
देख समर्पण रोता
झरते आखें _ राम
प्यार और सार
जो हम बिताए साथ
पल वो अनमोल
गाऊ किसे बोल । _ सीता
न्याय नहीं फैसला
त्याग और वनवास_ राम
संयम और समर्पण
नारी जीवन हमेशा
सहनशीलता _ सीता
झलक सत्य एकत्व (पति-पत्नी )
मिसाल है सीता _राम
नारी विवशता
हृदय की पीड़ा
जान पाते तो
बनती न उपहास _ सीता
_ डॉ. सीमा कुमारी , बिहार ( भागलपुर )। ये स्वरचित रचना मेरी पुरानी 1–1-010की ही है जो आज प्रकाशित कर रही हूँ।