सीख लिया है सभी ने अब
सीख लिया है सभी ने अब, औरों को नियम सिखाना।
खुद को नियमों से दूर रखना, औरों को सच पे चलाना।।
सीख लिया है सभी ने अब ———————–।।
बोलते हैं दिनभर में, झूठ ऐसे कितनी बार।
करते हैं औरों की इज्जत, बेवजह तार-तार।।
सीख लिया है सभी ने अब ———————-।।
भरी है इनकी तिजौरियां, नोटों के लिफाफों से।
देते हैं औरों को नसीहत, नहीं प्यार करें पैसों से।।
सीख लिया है सभी ने अब ———————-।।
शौक है इनके निराले, खाते हैं भोजन महंगा।
कहते हैं महलों में रहकर, पहनो मत इतना महंगा।।
सीख लिया है सभी ने अब ————————।।
तोड़ी है रस्में इन्होंने, बेचा है धर्म इन्होंने।
इनके जूतों में इंसाफ है, लूटा है देश इन्होंने।।
सीख लिया है सभी ने अब ———————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)