Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jun 2017 · 1 min read

सीख लिया है।

ज़ख्मों पर पैमंद।

सुनो,
आजकल मैंने ज़ख्मों का
मेकप करना सीख लिया है।
तेरी भूली बिसरी यादों से मैंने
ब्रेकअप करना सीख लिया है।

आंखों में तैरते एकाकीपन को,
मुस्कान से ढकना सीख लिया है।
हां, मैंने अपने ज़ख्मों का कुछ
मेकप करना सीख लिया है।

जो भर न सके किसी औषधि से,
नहीं सूखे जड़ी-बूटियों, मरहम से।
जो तुमने दिये उन ज़ख्मों पर मैंने
खुशियों की दिखावट का
पैबंद लगाना सीख लिया है।

मैंने भी कुछ गैरों को अब
अपना बताना सीख लिया है।
नहीं देते अपने साथ यहां
है मतलबी ज़माना, सीख लिया है।
मैंने भी रोते इस दिल को
बस यूं ही बहलाना सीख लिया है।

चेहरे पर लगाकर चेहरा ज़ख्मों को
छिपाना सीख लिया है।

नीलम शर्मा

Language: Hindi
Tag: गीत
328 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पानी
पानी
Er. Sanjay Shrivastava
हमारा ऐसा हो गणतंत्र।
हमारा ऐसा हो गणतंत्र।
सत्य कुमार प्रेमी
कभी उगता हुआ तारा रोशनी बांट लेता है
कभी उगता हुआ तारा रोशनी बांट लेता है
कवि दीपक बवेजा
सर्द मौसम में तेरी गुनगुनी याद
सर्द मौसम में तेरी गुनगुनी याद
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
कुदरत मुझको रंग दे
कुदरत मुझको रंग दे
Gurdeep Saggu
मेरा हाल कैसे किसी को बताउगा, हर महीने रोटी घर बदल बदल कर खा
मेरा हाल कैसे किसी को बताउगा, हर महीने रोटी घर बदल बदल कर खा
Anil chobisa
"प्लेटो ने कहा था"
Dr. Kishan tandon kranti
एहसास
एहसास
Er.Navaneet R Shandily
स्वयं में ईश्वर को देखना ध्यान है,
स्वयं में ईश्वर को देखना ध्यान है,
Suneel Pushkarna
कैसा फसाना है
कैसा फसाना है
Dinesh Kumar Gangwar
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
" बीकानेरी रसगुल्ला "
Dr Meenu Poonia
"हाथों की लकीरें"
Ekta chitrangini
चुनाव चालीसा
चुनाव चालीसा
विजय कुमार अग्रवाल
#लघुकथा / #हिचकी
#लघुकथा / #हिचकी
*Author प्रणय प्रभात*
"प्रेम"
शेखर सिंह
बरकत का चूल्हा
बरकत का चूल्हा
Ritu Asooja
स्मृति-बिम्ब उभरे नयन में....
स्मृति-बिम्ब उभरे नयन में....
डॉ.सीमा अग्रवाल
भालू,बंदर,घोड़ा,तोता,रोने वाली गुड़िया
भालू,बंदर,घोड़ा,तोता,रोने वाली गुड़िया
Shweta Soni
मुक़ाम क्या और रास्ता क्या है,
मुक़ाम क्या और रास्ता क्या है,
SURYA PRAKASH SHARMA
माँ वीणा वरदायिनी, बनकर चंचल भोर ।
माँ वीणा वरदायिनी, बनकर चंचल भोर ।
जगदीश शर्मा सहज
मेरी पलकों पे ख़्वाब रहने दो
मेरी पलकों पे ख़्वाब रहने दो
Dr fauzia Naseem shad
गाँधीजी (बाल कविता)
गाँधीजी (बाल कविता)
Ravi Prakash
गर्मी आई
गर्मी आई
Manu Vashistha
जवान वो थी तो नादान हम भी नहीं थे,
जवान वो थी तो नादान हम भी नहीं थे,
जय लगन कुमार हैप्पी
विद्या-मन्दिर अब बाजार हो गया!
विद्या-मन्दिर अब बाजार हो गया!
Bodhisatva kastooriya
घाटे का सौदा
घाटे का सौदा
विनोद सिल्ला
आजादी दिवस
आजादी दिवस
लक्ष्मी सिंह
गणेश जी पर केंद्रित विशेष दोहे
गणेश जी पर केंद्रित विशेष दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जो बीत गया उसे जाने दो
जो बीत गया उसे जाने दो
अनूप अम्बर
Loading...