*सीखो खुद पर हंसना*
खुद पर हंसना सीखो
बचपन की गलतियों पर,
जवानी को हंसी आती है।
जवानी की मूर्खता पर,
बुढ़ापा हंसा करता है।
यही अजब दस्तूर
है जमाने का,
सबको दूसरों पर
हंसी आती है ,
अपने आप पर
कोई हंसा करता नहीं।
सीख गया जो
अपने पर हंसना,
जमाने में किसी और पर
हंसी आती नहीं।।
आभा पाण्डेय