सिफ़ारिश कर दे हे दीदी
तू मेरे लिए भी इक हंसीं से सिफ़ारिश कर दे हे दीदी
मेरे अँधियारे आशिये में भी आरिश कर दे हे दीदी
वो मान जाएगी मेरी महबूबा,गुज़ारिश कर दे हे दीदी
मेरे दिल की बंजर ज़मीं पे बारिश कर दे हे दीदी
वो चँदा मेरी वो बुलबुल रहती है तेरी नगरिया हे दीदी
मेरे ज़र्रे ज़र्रे क़तरे क़तरे की पूरी फ़रमाइश कर दे हे दीदी
मेरी सुनती नहीं वो परिस्तां की परी मैं क्या करूँ
मेरे इश्क़ की कोई तो मुक़र्रर तारीख़ कर दे हे दीदी
~अजय “अग्यार