सिवा तिरे मेरी दुनियाँ में कोई कमी नहीं है
सिवा तिरे मेरी दुनियाँ में कोई कमी नहीं है
जब उठा है कदम तो पाँव तले ज़मीं नहीं है
यूँ मीठे गीत गाते हो ज्यों गाती है हयात
कोई साज़- ओ- आवाज़ ऐसा दिलनशीं नहीं है
तिरी आँखों के समंदर में हैं भंवर बेहिसाब
बचकर आ जाए कोई इसका मुझको यकीं नहीं है
हां तुम जहाँ जाओगे तस्वीर-ए-वफ़ा पाओगे
निगाह-ए-जहाँ कोई तिरी आँख से हसीं नहीं है
चले बादा-ए-शसीम तुझसे महक जाएँ फ़िज़ाएं
जन्नत है तुम हो जहाँ और तो कहीं नहीं है
तक़दीर की लकीरों में नहीं तो वो मिले कैसे
हालात ही कहते हैं कि इनका कोई मकीं नहीं है
अब भी उलफत से छलके है पैमाना-ए-दिल उसका
आज भी’सरु’की ख़ातिर कोई चीन-ए-ज़बीं नहीं है