सिला
खुशी की चाह में गम को गले लगाते रहे
कोई दुश्मन ना रहा दोस्त यूं बनाते रहे
अजब सिला ‘चिराग’ सादगी का हमको मिला
वफा निभाते रहे हम, वो आजमाते रहे
खुशी की चाह में गम को गले लगाते रहे
कोई दुश्मन ना रहा दोस्त यूं बनाते रहे
अजब सिला ‘चिराग’ सादगी का हमको मिला
वफा निभाते रहे हम, वो आजमाते रहे