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29 Jun 2019 · 1 min read

सिलसिला

क्या उम्मीद करूँ ऐ जिंदगी तूझे से
सांसों में बाँट रखी है ये जिंदगी
कब तलक आबाद रहेगी ये जिंदगी
न मुझे पता न उसे पता
जब तलक मोहब्बत है तुझसे
रख अपना बना के तू
ये जिन्दगी तो चलती रहेगी मगर
एक सिलसिला रह जाएगा

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

1 Like · 440 Views
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