सिलसिला गद्दारी का …
ये बॉलीवुड वाले कमाई तो खाते है हिंदी की ,
और हिंदी बोलने में इनको शर्म आती है ।
देवनागरी लिपि से इनका कोई वास्ता नहीं ,
इनके लिए गीत और संवाद शैली रोमन में लिखी जाती है।
अशिक्षिक लोग देश के इतिहास से भी अनभिज्ञ हैं ,
इन्हें तो यहां की संस्कृति और सभ्यता से भी चिड़ होती है ।
तभी तो अपने बच्चों के नाम रखते है या विदेश या
देश के आतत्तायियों/ दुश्मनों के नाम पर ।
कहां के यह देशवासी ,इन्हें तो अपनी जिंदगी यहां ,
खतरे में जान पड़ती है।
अरे ! यह भी देश के दुश्मन है कोई देशप्रेमी नहीं ।
इनकी नियत से सदा गद्दारी की बू आती है ।
मालूम नहीं फिर क्यों छोड़ नही देते हमारे देश को?
इनके यहां से चले जाने से कम से कम गंदगी तो कम होती है ।
जिस थाली में खाना उसी में छेद करना इनकी परंपरा बन गई है ,
हर समय ,किसी भी मुद्दे पर बिगड़ैल फ़ौज इनकी देश के लिए जहर ही उगलती है ।
ना जाने यह सिलसिला कब तक चलता रहेगा,
आखिर क्यों सरकार की पैनी नजर इनपर गाज क्यों न गिराती है ?