सिलवटें जाती नहीं..
नींद भी आती नहीं.. रात भी जाती नही..
कोशिशें इन करवटों की.. रंग कुछ लाती नहीं..
चादरों की सिलवटों सी हो गई है जिंदगी..
लोग आते.. लोग जाते.. सिलवटें जाती नहीं..
जुगनुओं के साथ काटी आज सारी रात मैंने..
राह तेरी भी तकी.. पर तुम कभी आती नहीं..
कुछ शब्द छोड़े आज मैंने रात की खामोशियों में..
मैं जो कह पाता नहीं.. तुम जो सुन पाती नहीं..
– सोनित
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