* सिर पर हाथ**
* सिर पर हाथ**
* बृहदहस्त*
तर्ज़ — (देना है तो दिजिए)
मातपिता के जब होते है सिर पर दोनों हाथ |
कभी कभी वो दे देते हैं ईश्वर को भी मात || टेक||
प्रत्यक्ष सदा है मातपिता जो रहते हरदम साथ,
पास हमारे सुख का सागर हमे होता आभास |
मिलती है मांगे बिन मांगे खुशियों की सौगात ||1||
रूठ गया ईश्वर क्या कहते पर मातपिता नही रूठते,
हो जाते सब रिश्ते पराये पर मातपिता नही छुटतै |
धन दौलत से नहीं होता है रिश्तो पर आघात ||2||
मातपिता की हम है पुंजी धन दौलत से प्यारी है,
बच्चों बिना सब सुनी लगती दौलत महल अटारी है|
हर मुश्किल हल करते यम से करते दो दो बात ||3||
मेहनत देती धन दौलत किस्मत रंग दिखाती है,
होती कृपा अदृश्य प्रभु की भटके को राह दिखायी है|
सारे तीर्थ मातपिता है होती आशीष की बरसात||4||
कभी कभी वो दे देते हैं ईश्वर को भी मात ||