सियासी मण्डी
ख़ालिस-ए-क़द्र किसी बाज़ार में नहीं मिलती।
निगार-ए-हक़ीक़त अब किसी अख़बार में नहीं मिलती।
तरक़्क़ी जिससे हो हर एक नाचार इंसां की,
ख़ूबियाँ ऐसी अब किसी सरकार में नहीं मिलती।
(पूर्णतः मौलिक)
ख़ालिस- असल, शुद्ध, क़द्र- मान, प्रतिष्ठा
निगार- छवि, नाचार- असहाय, लाचार, निर्बल
✍️ मुन्ना मासूम