सियासत
यह कैसा जमाना आ गया है ?
भेड़ियों के पीछे सियार पिछलग्गू को होकर घूमते हैं ,
शेर अपनी मांद में दुबके पड़े हैं ,
क्या शेरों को पता नहीं उनकी एक दहाड़ से सब सियार
भाग जाएंगे ?
और भेड़िए उनका मुकाबला नहीं कर पाएंगे?
फिर भी वे अपने मांद से बाहर आकर आवाज उठाने
से डरते हैं ,
क्योंकि अब जंगल की हवा बदल चुकी है ,
जंगल की अवाम अपनी खुदगर्ज़ी के लिए भेड़ियों के पीछे लग गई है ,
अब बुलंद शेर दिल ज़मीरों का जंगल में कोई काम नहीं ,
उनके दहाड़ने पर उनकी सच्चाई का साथ देने वाला
कोई नहीं ,
अकेले भेड़ियों से मुकाबला करने के उनके हौसले प़स्त
होने लगे हैं ,
इसलिए भेड़ियें अब अपनी औकात बुलंद करके जंगल की सियासत के नशे में मस्त हो गए हैं ।