सियालदह जयनगर की यात्रा
कविता :- 5(15) हिन्दी
-: सियालदह जयनगर की यात्रा । :-
सियालदह जयनगर गंगासागर की यात्रा ,
मिथिला घूमने के लिए नहीं देखनी पड़ती है पतरा ।
सियालदह में 13185 गंगासागर एक्सप्रेस पर बैठी ,
विधाननगर, दमदम, होते हुए आ गये नैहाटी ।
नैहाटी में देखें एक छोटा सा गैस सिलेंडर ,
आ गये गरीफा होते हुए हुगली, गंगा नदी पार बैण्डेल ।
बैण्डेल में हुई खान पान ,
आ गये हावड़ा मेन लाइन होते हुए बर्द्धमान ।
बर्द्धमान के लोकल ट्रेन से होते गये दूर ,
न जाने कैसे एक ही बार में पहुंच गए दुर्गापुर ।
दुर्गापुर में हम रोशन पूछे समोसा का मोल ,
खाते – खाते रानीगंज होते हुए आ गये आसनसोल ।
गांव जाने की उल्लास से होंठों पर मुस्कान ली ,
उसके बाद आ गई जे.सी.डी ।
जे.सी.डी में खरीदें बाबा बैद्यनाथ धाम के लिए फूल ,
इस तरह आ गये मधुपुर ।
मधुपुर में हमको बोला गया राजा ,
इस तरह हम झा आ गये झाझा ।
झाझा किऊल में लगी हमारी कविता की परीक्षा होनी ,
सिमरिया घाट, राजेन्द्र पुल कवि दिनकर जी के गांव
होते हुए हम आ गये बरौनी ।
बरौनी से घर रहा न दूर ,
आ गये समस्तीपुर ।
समस्तीपुर में झाड़े पेन्ट और अंगा ,
आ गये अपना मिथिला के दरभंगा ।
दरभंगा में देखें पेड़ पौधा और बकरी ,
आ गये सकरी ।
सकरी में मुलाक़ात हुआ वह आदमी रहा धनी ,
विश्व में मशहूर है अपना पेंटिंग ,आ गये पण्डौल
होते हुए हम मधुबनी ।
मधुबनी से भी जा सकते रहे अपना घर ,
लेकिन चल गये हम राजनगर ।
राजनगर में हम पीये न शराब , पीये जल ,
आ गये खजौली होते हुए हम सियालदह से जयनगर ।
मधुबनी में गये मुंह हाथ धोने गंगासागर घाट पर ,
बस पकड़े कुछ ही देर में उतार दिया हमको लोहा हाट पर ।
लोहा में रिक्शावाला को बोले चलो जी ,
पहुंचा दिया हम को अपना गांव झोंझी ।।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता भारत
मो :- 6290640716 ,
12-03-2018 सोमवार :-5(14)