सियाचिनी सैनिक
दुनिया जहॉ मौत देखती
हम वहॉ खेल लेते है !
बस तिरंगे की शान में
हर मुश्किल झेल लेते हैं !
दुनिया की सबसे ऊंची
ये सियाचिन की है चौकी !
दुष्ट दुश्मन,मौसम से रण में
पूरी ताकत हमने है झौकी !
शौर्य साहस देख हमारा
ये सारी दुनिया है चौकी !
जहाँ इधर मेरे सिंह दहाड़े
उधर दुबकी लोमड़ीया भौकी !
परिंदे तो छोड़ों जहॉ
बस मौत का राज होता हैं !
मात देना मौत को भी
एक फौजी का अंदाज होता हैं !
दुश्मन से बडा़ जहॉ
मौसम जानी दुश्मन है होता !
इरादों की फौलादी गर्मी में
वो बर्फ की रजाई में ही सो लेता !
हरपल बैठी मौत ताक में
खेलती जिंदगी ऑख-मिचौली !
ये मौत भी हार मान जाती
जब हिम्मत जाती है तौली !
मजाल शत्रु देखें ऑख ऊठा
देश की सीमाओं की ओर !
पल में ही छलनी कर के
देंगे दुश्मन को झकझोर !
घुटने,कमर,मुंह दुश्मन के
सब बुरी तरह हम देगें तोड़ !
हमसे जो टकरायेगा
गर्दन उसकी देगें मरोड़ !
हम मौत से कभी डरते नही
खुद मौत दुश्मन की बन जाते !
भारत की सेना को देख
डरावने सपने दुश्मन को आते !
हर हाल में रहकर हमने
अपने प्यारे देश को बचाना है !
करे जहां जरा जुर्रत दुश्मन
वही उसे बर्फ में छै फिट दबाना है !
।। जयहिन्द । जयहिन्द की सेना ।।
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मौलिक एंव स्वरचित: कविता प्रतियोगिता
रचना संख्या -१०: मई २०२४.©जीवनसवारो