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24 May 2019 · 1 min read

सिन्हा हारता नहीं, यथार्थ में जीता है…

मेरी कलम से…
आनन्द कुमार

क्या कहा,
सिन्हा हार गये,
अरे कौन सिन्हा शत्रु,
अरे नहीं शत्रु नहीं,
फिर कौन,
अरे भाई,
मनोज सिन्हा,
पूर्वांचल वाले,
अरे क्या कह रहे हो,
वह कैसे हार सकते,
बिल्कुल वह हार,
नहीं सकते,
गलत फहमी है तुमको,
गलत जानकारी है,
सच कह रहा हूं,
वह हार गये,
अरे सुनो,
सिन्हा हार नहीं सकते,
हारी होगी जाति,
हारा होगा विश्वास,
आखिर,
सिन्हा कैसे हार सकते,
सोच हारा होगा,
विचार हारा होगा,
प्रयास हारा होगा,
विश्वास हारा होगा,
भला मनोज सिन्हा,
कैसे हार सकते हैं।
जरूर गलत,
सूचना है तुमको,
सिन्हा नहीं हार सकते,
जानते हो, जरूर गलत,
सूचना है तुमको,
पूर्वांचल के राजनीति का,
वह अभ्युदय है,
जो रोज उगे और रोज ढले,
वह सूर्योदय है,
वह हार नहीं सकता,
वह टूट नहीं सकता,
वह ऐसा प्रतिबिम्ब है,
जो चंहु ओर दिखता है,
ऊंची पायदान पर,
न होकर भी,
अपनी सादगी में,
खिलता है,
वह हार नहीं सकता,
इधर उधर देखों,
वह गाजीपुर का शेर है,
दर्द समेटे रहता है,
पूर्वी हवा की रगों में बहता है।
वह हार नहीं सकता,
हमेशा यथार्थ में जीता है।।

Language: Hindi
1529 Views
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