सिद्ध है
सिद्ध है –
दुगर्म जीवन राहों में संकल्पों का भाव सिद्ध है ।।
दुविधा संसय दृढ़ता का विश्वास सिद्ध है।।
अभिलाषा कि प्रतीक्षा कायरता और पराजय का समय व्यर्थ है।।
हल्दी चंदन कुंम कुम उत्साह बड़प्पन का रचनाकार सिद्ध है।।
उत्कृष्ट उत्कर्ष का सक्षम परिपूर्ण परिणाम सिद्ध है ।।
काश आस प्यास कशिश और कोशिश का निर्माण निरर्थक।।
नीति नियत का हाथ साथ जीवन विकार व्यर्थ है ।।
जीवन पथ में कांटे और शूल कुरुक्षेत्र सा युद्ध भूमि ।।
उद्देश्यों का द्वंद युद्ध है जीना तो लड़ना सीखो ।।
दुर्गम से सुगम दुविधा से सुविधा सत्यार्थ सिद्ध है ।।
चाहत है कुछ हासिल हो जाये रचना की रचनात्मकता सिद्ध है।।
पराक्रम कि प्रतीक्षा का आस काश हद नही।।
यंत्र तंत्र सर्वत्र का विजयी मुस्कान सिद्ध है ।।
सर्वश्रेष्ठ और बड़कप्पन कुम कुम हल्दी चंदन उत्साह उत्सव का विजयी संग्राम सिद्ध है।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।