सितारों संग
कभी बुलाये, कभी बिन बुलाये
तुम चले आना सांझ ढले बुलाये
चली पूर्वाह सीली- सीली बहारें
चांद की चांदनी, आसमां के तले
सितारों संग हम भी जगमगाएंगे
तपती धरती ठंडी, मीठी लहरायेंगे
तरसता तुम बिन अकेले ये मन भी
ठंडी हवा बन बहते आना तुम भी
मीठी-मीठी छांव बन कर तुम भी
ख्वाब, ख्याल सब संग लेते आना
कहे-अनकहे, बिन छुएं ख्वाब लाना
बैठ नीम के नीचे यादें ताजा कर जाना
नयन से नयन बदरा बरसे, बिन गरजे
ऐसा मौसम तुम संग लेते हुए जाने
मीठी सरिता बहती, सीप के मोती दे
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़, हरियाणा