सितारे की रोशनी
तुम्हें दीपक की रोशनी
अच्छी लगती है या
लैम्प की
मुझे तो सितारे की
लगती है
चाहे तो वह आसमान पर
टंका रहे
चाहे तो मुझसे मीलों दूर
रहे
चाहे तो कभी कभी
बादलों के पीछे छिपा मुझे न भी
दिखे
चाहे तो टूट कर कहीं मेरी छत पर भी न
गिरे
फिर भी
मुझे बेइंतहा प्यार है उससे
मैं चांद की तरह जालिम नहीं कि
इतना करीब होते हुए भी
यह हसीन मौका हाथ से जाने दूं और
तन्हाई में विचरने के लिए
तन्हा छोड़ दूं उसे।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001