सितम गर हुआ है।
सितम गर हुआ है ये सारा ही जमाना हमारा।
मजधार में हम फंसे है नही मिलता है किनारा।।1।।
अब मुनासिब नही है तुमसे यूं मिलना हमारा।।
दिलों में हमारे फासले दरम्या है इतने ज्यादा।।2।।
तेरे वास्ते गुमनाम जिंदगी कब से जी रहे है।
रिश्ते का नाम पूछता है जमाना हमसे तुम्हारा।।3।।
ये ऊंचे ऊंचे महल किसी काम के ना तुम्हारे।
तुर्बत ही बनेगी बस सबका आखिरी ठिकाना।।4।।
अजनबी सा हो गया है हमसे घर भी हमारा।
रंग भी उड़ गया है दीवार ओ दर का सारा।।5।।
पलभर को नींद आती नही आंखों में हमारी।
नजरों का हर ख्वाब बना है दुश्मन हमारा।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ