बे-पर्दे का हुस्न।
औरत तब तक औरत रहती है।
जब तक उस में गैरत बसती है।।1।।
बे-पर्दे का हुस्न नंगापन होता है।
आंचल में ही इज्जत मिलती है।।2।।
रिश्तों में आला किसको बताएं।
ना मां जैसी मोहब्बत मिलती है।।3।।
बड़ी चमकती पेशानी है उसकी।
उसमे रब की इबादत दिखती है।।4।।
बड़े मशरुफ हो गए है अब हम।
इश्क में कहां फुरसत मिलती है।।5।।
धोखा खाया दिल धोखा ही देगा।
टूटे हुए दिलों में नफरत रहती है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ