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25 Feb 2024 · 1 min read

सितमज़रीफ़ी

सितमज़रीफ़ी है
अचानक यूँ लगा
किसी ने फिर झरोखे से
झाँकने की कोशिश की हो

यह और कुछ नहीं
बज़्मे-तस्व्वुरात की
सितमज़रीफ़ी है

हर लम्हा – हर घूँट हो
ज़हराबा-ए-ह्यात के मानिंद

शायद वो मेरा ही अक्श है
कुरेदता है मेरा सोज़- ए- निहाँ
दस्तक दे रहा झरोखे पर
यादे-रफ्तगां का पोटली ले कर

~ अतुल “कृष्ण
———-
* बज़्मे-तस्व्वुरात=ख़्यालों की महफ़िल,
* सितमज़रीफ़ी=मजाक
* ज़हराबा-ए-ह्यात=जीवन रुपी विष
* सोज़-ए- निहाँ=छिपा दर्द,
* यादे-रफ्तगां=पुरानी यादें

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