सिचवेशन कविता
वर्षा की फुहार :-सिचुवेशन-:
एक नायिका बारिश में भीग रही है उसे देखकर देश के चर्चित कवियों की काव्य मय अभिव्यक्ति क्या होगी इस पर आपने अलग अलग कवियों की शैली में काव्य आनंद लिया। बहुत प्यार मिला पाठकों का। पाठकों के मतानुसार आज प्रस्तुत हैं श्री हरिवंशराय बच्चन जी। ☆☆☆
वर्षा की फुहार – श्री हरिवंशराय बच्चन जी
रोम-रोम से झलक रही है इसके तन मादक हाला
छाता ताने खड़ा हुआ है हर कोई पीने वाला
बूंद-बूंद से टपक रहा मधु सब पीने ललचाए हैं
नहीं भीगती नारी है यह साक्षात् है मधुशाला।
चला बचाने छाता लेकर हर कोई पीने वाला
सोच रहा जल्दी पा जाऊं हाथों में मधु का प्याला
स्वयं भीगकर जाति-पाति का भेद मिटाती दीख रही
बना रही सद्भाव सभी में खुली सड़क पर मधुशाला।।
भूल नमाज़ नमाजी दौड़ा पंडित भूल गया माला
धर्म-कर्म निभ जायें साथ में मिल जाए पीने हाला
नहीं भीगने देंगे इसको रखें सुरक्षित सदा-सदा
कहां बचेंगे हम दुनिया में अगर बची ना मधुशाला।।
गुरु सक्सेना, नरसिंहपुर