सिख रहा हूँ मैं
लिख नहीं सिख रहा हूँ
वैसा हूँ नहीं जैसा दिख रहा हूँ ।
क्या करूँ कमी है फिर भी मानो
कुछ बात है जो बिक रहा हूँ ।
मुझे बड़ा समझने की भूल न करो
बड़े पत्थर पर पैर टिक रहा हूँ ।
विन्ध्यप्रकाश मिश्र विप्र
लिख नहीं सिख रहा हूँ
वैसा हूँ नहीं जैसा दिख रहा हूँ ।
क्या करूँ कमी है फिर भी मानो
कुछ बात है जो बिक रहा हूँ ।
मुझे बड़ा समझने की भूल न करो
बड़े पत्थर पर पैर टिक रहा हूँ ।
विन्ध्यप्रकाश मिश्र विप्र