साहित्य – संसार
मेरा साहित्य – संसार
तुम्हारे साहित्य – संसार जैसा नहीं है
तुम्हारे साहित्य – संसार में
शब्द हैं
भाव हैं
कविता हैं
कहानियां हैं
किरदार हैं
कैमरा है
दर्शक हैं
लेकिन….
मेरे साहित्य – संसार में
न तो शब्द हैं
न भाव हैं
न कविता है
न कहानियां हैं
न किरदार हैं
न कैमरा है
न दर्शक हैं
मेरे साहित्य – संसार में ….
सिर्फ़ तुम हो
तुम से मेरा साहित्य …
तुम से मेरा संसार…
शिवकुमार बिलगरामी