Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Sep 2019 · 2 min read

साहित्य दर्पण नही

साहित्य किसे कहते है ?
जैसे प्रश्न बेमानी है। ठीक उसी तरह से जैसे समन्दर किसे कहते है आदि आदि।
साहित्य क्या है ? क्यो है ? जैसे प्रश्न मिलाकर हम इसे समझने की कोशिश करते है।
साहित्य एक आशा है तो साहित्य एक निराशा भी है। साहित्य विचारों का एक संकलित पुंज है जो लिखित या मौखिक हो सकता है।इसका व्यवहारिक जीवन से बहुत ज्यादा वास्ता नहीं होता।हाँ पूर्णत विलग भी नही होता।साहित्य का सम्बंध दो तिहाई से ज्यादा मानसिक होता है शारीरिक गतिविधि नहीं। साहित्य रचन सदा से अतिरेक या व्यतिरेक की वजह से होता है। इसमें जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि का ही ज्यादा किरदार होता है,वास्तविकता का नहीं। सामान्यतौर पर साहित्य लेखकों ने आशावादी ,ऊर्जामय साहित्य सृजन नही किया ,अधिकतर निराशावादी ,बेचारगी वाले चिंतन को महत्व देकर जगत को नकारात्मक बनाने की कोशिश की है। जबकि वास्तविकता में जगत नकारात्मक नही है। परन्तु ऊर्जावान ,कर्मठ लोगो का साहित्य लेखन की तरफ कम ही रुझान रहा है। अब जाकर साहित्य ने करवट लेना प्रारम्भ किया हर एवं प्रेमचंद के नकारात्मक पक्षो को महिमामण्डित कर तालियां बजवाने जैसे साहित्य को छोड़ने की दिशा में अग्रसर है। रामधारीसिंह दिनकर ,मैथलीशरण गुप्त जैसी राह पर चलने लगा है। प्रसाद ,प्रेमचंद जैसे साहित्य से छवि ऐसी बन गई थी समाज की ।गोया समाज मे कोई अच्छाई बची ही न थी। सब तरफ शोषण, भर्ष्ट ,जुल्म ही जुल्म रहे हो। जबकि राजा या सामन्त सब जुल्मी नही होते थे।। आज भी पत्रकार या साहित्यकार जुल्म,गरीब आदि नैराश्य घटकों पर कलम चलाने में बड़ा गर्व महसूस करते है। और फिर समाज का दर्पण बताते आये है साहित्य को रट्टू लेखक। जबकि दर्पण सिर्फ उस हिस्से को बताता है जिसे दिखाया जाता है। जबकि सच तो पीठ भी है जो दर्पण में नही दिखती है,सिर्फ फ्रंट देखकर सम्पूर्ण नही कही जा सकती। हताश प्रेमी गीत लिखकर यूँ सिध्द कर देता है जैसे जगत में सब टूटे दिल के पड़े हो। जो रात दिन मेहनत कर निकम्मे लोगो को पाल रहे है उन्हें कहाँ फुर्सत लेखन जैसे फिजूल कार्य की। अतः उनके भावो का साहित्य नही आ पाता। अस्तु….

कलम घिसाई
9414764891

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 414 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जब कैमरे काले हुआ करते थे तो लोगो के हृदय पवित्र हुआ करते थे
जब कैमरे काले हुआ करते थे तो लोगो के हृदय पवित्र हुआ करते थे
Rj Anand Prajapati
मुझे उस पार उतर जाने की जल्दी ही कुछ ऐसी थी
मुझे उस पार उतर जाने की जल्दी ही कुछ ऐसी थी
शेखर सिंह
खामोश कर्म
खामोश कर्म
Sandeep Pande
ग़म कड़वे पर हैं दवा, पीकर करो इलाज़।
ग़म कड़वे पर हैं दवा, पीकर करो इलाज़।
आर.एस. 'प्रीतम'
जिंदगी का मुसाफ़िर
जिंदगी का मुसाफ़िर
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
खेल और राजनीती
खेल और राजनीती
'अशांत' शेखर
सोच
सोच
Shyam Sundar Subramanian
Dr. Arun Kumar Shastri
Dr. Arun Kumar Shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सब्र रख
सब्र रख
VINOD CHAUHAN
दुम कुत्ते की कब हुई,
दुम कुत्ते की कब हुई,
sushil sarna
"अमर रहे गणतंत्र" (26 जनवरी 2024 पर विशेष)
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
मुस्कुराना सीख लिया !|
मुस्कुराना सीख लिया !|
पूर्वार्थ
लोककवि रामचरन गुप्त मनस्वी साहित्यकार +डॉ. अभिनेष शर्मा
लोककवि रामचरन गुप्त मनस्वी साहित्यकार +डॉ. अभिनेष शर्मा
कवि रमेशराज
11कथा राम भगवान की, सुनो लगाकर ध्यान
11कथा राम भगवान की, सुनो लगाकर ध्यान
Dr Archana Gupta
रिशते ना खास होते हैं
रिशते ना खास होते हैं
Dhriti Mishra
सत्य और सत्ता
सत्य और सत्ता
विजय कुमार अग्रवाल
संतुलित रखो जगदीश
संतुलित रखो जगदीश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
जब एक ज़िंदगी है
जब एक ज़िंदगी है
Dr fauzia Naseem shad
17. बेखबर
17. बेखबर
Rajeev Dutta
खिड़कियाँ -- कुछ खुलीं हैं अब भी - कुछ बरसों से बंद हैं
खिड़कियाँ -- कुछ खुलीं हैं अब भी - कुछ बरसों से बंद हैं
Atul "Krishn"
होंगे ही जीवन में संघर्ष विध्वंसक...!!!!
होंगे ही जीवन में संघर्ष विध्वंसक...!!!!
Jyoti Khari
राजस्थान
राजस्थान
Anil chobisa
#लघु_कविता :-
#लघु_कविता :-
*Author प्रणय प्रभात*
*रामपुर रजा लाइब्रेरी की दरबार हॉल गैलरी : मृत्यु का बोध करा
*रामपुर रजा लाइब्रेरी की दरबार हॉल गैलरी : मृत्यु का बोध करा
Ravi Prakash
देख तो ऋतुराज
देख तो ऋतुराज
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
Image of Ranjeet Kumar Shukla
Image of Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
लहरे बहुत है दिल मे दबा कर रखा है , काश ! जाना होता है, समुन
लहरे बहुत है दिल मे दबा कर रखा है , काश ! जाना होता है, समुन
Rohit yadav
"ऐसा मंजर होगा"
पंकज कुमार कर्ण
बिहार–झारखंड की चुनिंदा दलित कविताएं (सम्पादक डा मुसाफ़िर बैठा & डा कर्मानन्द आर्य)
बिहार–झारखंड की चुनिंदा दलित कविताएं (सम्पादक डा मुसाफ़िर बैठा & डा कर्मानन्द आर्य)
Dr MusafiR BaithA
"सुनो"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...