साहित्यकार हूँ मैं।
कोरोना काल में बना एक साहित्यकार हूँ मैं।
ऑनलाइन- ऑफलाइन पाठ को तैयार हूँ मैं।
जब से कवि सम्मेलनो मुशायरों में जाने लगा हूँ।
तब से कइयों के नजरों में खटकने लगा हूँ मैं।
सुबह से लेकर शाम तक चिंतन करता हूँ मैं।
बिना एक कविता लिखें चैन से न सोता हूँ मैं।
हर मुद्दे पर बेधड़क खुल कर लिखता हूँ मैं।
फेसबुक इंस्टाग्राम ट्विटर पर पोस्ट करता हूँ मैं।
सोशल साइट पर लाइक कॉमेंट मिलता रहता है।
इसी से अपनी बेरोजगारी के दिन कटा रहा हूँ मैं।