साहस
अब्दुल ने भेड़ों को बाड़े में बंद कर चारों तरफ पर्दे लगा दिए , आज सुबह से ही बर्फबारी हो रही थी रास्ते भी बर्फ के वजह से बंद पड़े थे। उसे पास के कस्बे जाकर जरूरत का सामान लाना था परंतु बर्फबारी सवेरे से रुकने का नाम नहीं ले रही थी।
उसका गांव कश्मीर की सीमा रेखा से केवल पाँच किलोमीटर की दूरी पर था। अतः सीमा पार से घुसपैठियों का खतरा बना रहता था। इसलिए कोई भी देर रात को बाहर नहीं रहता था , शाम होते ही लोग घरों में दुबक जाते थे। केवल सुरक्षाकर्मियों की आवाजाही बनी रहती थी।
अब्दुल के परिवार में सदस्य पत्नी सायरा एवं बच्चे फैजान उम्र दस वर्ष एवं जाहिदा पाँच वर्ष थे। दोनों रमजान की छुट्टियों में नानी के घर अनंतनाग गए थे।
उस रात खाना खाने के बाद करीब रात के 9:00 बजे अब्दुल और सायरा सोने चले गए।
अब्दुल की अभी आंख लगी ही थी कि उसे जोर-जोर से दरवाजा खटखटाने की आवाज सुनाई दी। उसने सोचा कि देर रात को कौन आया है , शायद गश्त लगाने वाले सुरक्षाकर्मी होंगे। जैसे ही उसने दरवाजा खोला तो देखा असलाहों से लैस चार नौजवान धड़ाधड़ कर अंदर दाखिल हुए और अंदर आते ही दरवाजा अंदर से बंद कर कर लिया।
अब्दुल समझ गया कि वे सीमा पार से आने वाले घुसपैठिए आतंकवादी हैं। आते ही उनमें से एक ने जो उनका मुखिया मालूम होता था ने अब्दुल से पूछा यहां पर कितने लोग हैं ?
अब्दुल ने कहा मैं और मेरी बीबी ,बच्चे नानी के यहां गए हैं । उस युवक ने कहा हम एक रात यहां रुकेंगे सवेरे तड़के ही चले जाएंगे। घर में खाने को कुछ है क्या? , हमें भूख लगी है।
इस पर सायरा ने कहा चूल्हा अभी- अभी बंद किया है मैं सुलगाकर रोटियां बना देती हूँ।
सालन भी कुछ बचा हुआ है उससे और अचार से रोटियां खा लीजिएगा। जब तक रोटियां तैयार होंगी तब तक आपके लिए कहवा बना देती हूं।
और सायरा ने चूल्हा सुलगाकर पहले कहवा बना कर उन लोगों को पिलाया और फिर रोटी बनाकर
सालन और अचार के साथ खाना पेश किया। वे लोग काफी थके हुए थे खाना खाते ही उन्हे नींद आने लगी। फिर भी वे बहुत चौकन्ना थे बारी बारी से पहरा देकर सोने लगे।
सायरा एक बुद्धिमान एवं साहसी महिला थी , उसने उन लोगों के लिए कहवा और सालन में नींद आने वाली बूटी पीस कर मिला दी थी , जिसने धीरे-धीरे अपना असर दिखाना चालू कर दिया।
देखते ही देखते तीनों युवक गहरी नींद के आगोश में खो गए। वह युवक जो पहरा दे रहा था उसे भी नींद सताने लगी , काफी देर तक वह नींद पर काबू पाने की कोशिश करता रहा परंतु अंत में वह भी थक हार कर वही सो गया।
अब्दुल और सायरा जब आश्वस्त हो गए कि सभी गहरी नींद में सो गए हैं । तो चुपके से घर से बाहर निकल कर पास की सीमा सुरक्षा बल चौकी पर पहुंचे और उनको आतंकी युवकों के अपने घर में छुपे रहने की सूचना दी। सूचना मिलते ही चौकी पर स्थित सुरक्षाकर्मियों ने इसकी सूचना कमांड हेड क्वार्टर को देकर तुरंत अब्दुल के घर की घेराबंदी कर दी। सुरक्षा सैनिक फूंक-फूंक कर कदम रख रहे थे ताकि वे जल्दबाजी में कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहते थे , जिससे किसी भी आम नागरिक की सुरक्षा खतरे में पड़े।
इस दौरान तीनों सोये हुए युवकों में से एक की नींद अचानक खुल गई तो उसने देखा कि सभी लोग घोड़े बेचकर सो रहे हैं ।जिस युवक को पहरे की जिम्मेदारी दी गई थी वह भी राइफल दीवार पर टिका कर दीवार के सहारे बैठकर खर्राटे मार रहा था। मकान में से अब्दुल और सायरा नदारद थे।
वह समझ गया कि वे मुसीबत में फंस गए हैं।
बाहर से लाउडस्पीकर पर सुरक्षा बल का अनाउंसमेंट सुनाई दिया कि वे चारों ओर से घिर गए हैं , बेहतरी इसी में है कि वे आत्मसमर्पण कर दें वरना उन्हे मार गिराया जाएगा।
उस आतंकवादी युवक ने अपने साथियों को तुरंत जगाया और पोजीशन लेकर कवर फायरिंग करते हुए निकल भागने का प्लान बनाया।
आतंकवादी युवकों ने दो -दो के ग्रुप में रुक रुक कर फायरिंग करना चालू कर दिया , जिससे सुरक्षा बल को भुलावे में रखकर भागने का मौका मिल जाए। उधर सुरक्षा बल ने पूरी घेराबंदी कर रखी थी और मुंह तोड़ जवाबी फायरिंग की और उन्हें भागने का मौका नहीं दिया। इस प्रकार दो तरफा फायरिंग में दो आतंकवादी युवक मारे गए और दो आतंकवादी युवकों को समर्पण के लिए बाध्य कर बंदी बना लिया गया। इन युवकों से काफी मात्रा में गोला बारूद अत्याधुनिक हथियार एवं घाटी के युवकों को बरगला कर अपने आतंकवादी संगठन में शामिल करने के लिए पर्चे बरामद हुए।
राज्यपाल ने अब्दुल एवं सायरा के साहस ,बुद्धिमानी एवं जनसहयोग भावना की भूरि भूरि प्रशंसा की एवं उन्हें गणतंत्र दिवस उत्सव के उपलक्ष्य में सम्मानित किया गया।