सास बिना ससुराल ना होता
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सास बिना ससुराल ना होता,
सुना बंगला खंडहर सा होता।
सास से समाज मे है मर्यादा,
ये तो घूँघट है बहु के सर का।
जो बहु की हर एक गलती ,
दुनिया के सामने सदा ही ढकती।
ये रिस्ता कुछ नोकझोक का,
है दुनिया में बड़ा अनोखा।
जो बतलाती घर का रीति-रिवाज,
सास से ही सजती है तीज-त्योहार।
सास-ससुर के अाशीर्वाद से ही,
पुत्र-बहु का जीवन फलता-फूलता।
????—लक्ष्मी सिंह?☺