सास-बहू ( हास्य कुंडलिया )
सास-बहू (हास्य कुंडलिया)
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नया जमाना आ गया ,रही सास कब खास
जींस पहन बहुएँ चलीं , घूँघट ओढ़े सास
घूँघट ओढ़े सास , आज की बहुएँ भारी
देती रहतीं ज्ञान ,सास को दिन-भर सारी
कहते रवि कविराय ,गुरु गूगल को माना
मोबाइल – निष्णात ,बहू अब नया जमाना
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निष्णात = पारंगत ,खूब अच्छी तरह जानने
की समझ
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451