सास बहू के झगड़े की वजह।
एक माँ अपने बेटे को 9 माह गर्भ में रखती है। कितना करीब था उसका बेटा अब जब जब वो पैदा हुआ तो चिकित्सक ने नाल काट कर जो माँ बेटे का आखिरी जुड़ाव का तरीका था वो भी समाप्त हुआ ।
लेकिन दूध के माध्यम से फिर एक बेटा मा से जुड़ा रहा और इस प्रकार संबंध कुछ दूर तो हुआ पर फिर भी एक आश रही ।
बेटा बड़ा होता गया विद्यालय फिर विश्वविद्यालय और होस्टल के द्वारा बेटा और दूर हो गया।
जब नौकरी की खातिर बेटा शहर छोड़कर कही बस गया अब अंतिम आश भी समाप्त हुई।
और आख़िर कार वो दिन आ गया जब बेटे का विवाह हो गया और अब बेटा जानिए कि किसी और का ही हो चला अब तो बेटे से जैसे कोई संबंध शेष रहा ही नही।
कोई माँ कितना भी कहे कि नही उसका बेटा उसके आज भी करीब है। अवचेतन मन मे उसके यह गहराई में है कि बेटा दूर हो गया।
वो न भी चाहे मा का स्तर कितना भी ऊपर हो उसके मन मे ईर्ष्या घर करने लगती है । अब वो उस चिकित्सक से नही कुछ कह सकती है न विद्यालय के शिक्षक से और न नौकरी से तो अंतिम छोर के रूप में बेटे की पत्नी ही होती है जो आज सामने है, तो आज बहू ही एकमात्र उसके बेटे को उससे दूर ले जाने वाली प्रतीत होती है फिर भले ही उस बहू को स्वयं मा ने ही क्यो न चुना हो पर इस बात से अधिक मूल्यवान बेटे का दूर जाना मालूम पड़ता है तो यही मनोवैज्ञानिक तौर पर एक रेखा बेटे की पत्नी और माँ के बीच खींचने का कारण होता है।
इसका समाधान मन को समझने में है परिस्थितियों के अध्ययन में है ।