सावन
कुंडलिनी छंद
सावन आया देखकर, दादुर भरी छलांग।
पोखर के तट ध्यान में, बगुले रचते स्वांग।
बगुले रचते स्वांग, झपटते मौका पाकर।
दादुर के बस कंठ, चीखते हैं पछताकर।
अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’
रामपुर कलाँ,सबलगढ(म.प्र.)
कुंडलिनी छंद
सावन आया देखकर, दादुर भरी छलांग।
पोखर के तट ध्यान में, बगुले रचते स्वांग।
बगुले रचते स्वांग, झपटते मौका पाकर।
दादुर के बस कंठ, चीखते हैं पछताकर।
अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’
रामपुर कलाँ,सबलगढ(म.प्र.)