सावन
देखो आई ऋतु सुहानी सावन की
सावन की ऋतु मनभावन की
हरित वर्ण की चूनर ओढ़े धरा सज रही
रंग बिरंगे फूलों का श्रृंगार लिए जँच रही
अम्बर भी देखो अपने गुरूर में
कजरारे बदरा भी बरसे शुरूर में
पक्षी भी करते मल्हार अपनें ढंग में
और यहाँ तो भक्त भी रंगे भोले के रंग में
हरियाली फैली चहुँ ओर सुहानी
मोर भी नाचे चाल मस्तानी
देखो तीज राखी का त्यौहार है आया
संग अपने खुशियाँ अपार है लाया